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श्रम संहिताओं के विरोध में सड़क पर उतरे मजदूर, सरकार से संकल्प पारित करने की मांग




रांची: अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) की ओर से झारखंड विधानसभा के समक्ष राज्य स्तरीय धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य झारखंड में नई श्रम संहिताओं को लागू न करने के लिए सरकार से विधानसभा में संकल्प पारित कराने की मांग करना था।



धरना कार्यक्रम में कोयला, स्टील, रेलवे, निर्माण, सफाई कर्मी और विभिन्न योजनाओं से जुड़े मजदूरों की बड़ी भागीदारी रही। मजदूर हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए और श्रम अधिकारों की रक्षा की मांग की।




कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऐक्टू के वरिष्ठ नेता एवं माले पोलित ब्यूरो सदस्य हलधर महतो ने कहा कि श्रम संहिताएं मजदूरों को कमजोर करने और उनके अधिकारों को समाप्त करने वाला कानून है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार मजदूर हित में तुरंत विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर यह स्पष्ट करे कि राज्य में इन श्रम संहिताओं को लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।



ऐक्टू के प्रदेश महासचिव शुभेंदु सेन ने अपने संबोधन में कहा कि मजदूरों को मिले अधिकार किसी भी प्रकार की खैरात नहीं, बल्कि दशकों के संघर्षों का परिणाम हैं। उन्होंने घोषणा की कि आने वाले फरवरी माह में केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा।



धरना में ऐक्टू के प्रदेश अध्यक्ष बैजनाथ मिस्त्री, कार्यकारी अध्यक्ष विकास कुमार सिंह, सचिव भुवनेश्वर केवट, कृष्णा सिंह, गोपाल शरण सिंह, महेश कुमार सिंह, बालेश्वर गोप, अनीता देवी, जगरनाथ उरांव, शेख सहडूल, कार्तिक हाड़ी, भीम साहू, जे.एन. सिंह, बलदेव वर्मा, बी.आर. सिंह, दिलीप ओझा सहित कई मजदूर नेताओं ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन भुवनेश्वर केवट ने किया।

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