राँची (बुढ़मू) ::झारखंड में संशोधित पेसा कानून को लागू करने, नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों पर हो रहे दमन को रोकने, राशन–रोजगार–वनपट्टा की गारंटी सुनिश्चित करने तथा जंगल–जमीन–लोकतंत्र की रक्षा की मांग को लेकर बुढ़मू में एक जोरदार मार्च निकाला गया।“संविधान बचाओ – देश बचाओ”, “SIR के बहाने मताधिकार से वंचित करने की साजिश बंद करो” और “कॉरपोरेट लूट के खिलाफ संघर्ष तेज करो” जैसे नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के जिला सचिव जगमोहन महतो ने कहा कि कॉमरेड बुधुवा उरांव 1988 में भाकपा (माले) से जुड़े थे और उन्होंने जीवनभर जंगल, जमीन, रोजगार के अधिकार तथा सांप्रदायिक हिंसा व नफरत के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि आज बुधुवा उरांव हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
आदिवासी संघर्ष मोर्चा के नेता जगरनाथ उरांव ने कहा कि वनाधिकार कानून, 2006 के तहत आवेदन देने के बावजूद अधिकांश पात्र परिवारों को अब तक वन पट्टा नहीं मिला है।वहीं वन संरक्षण (संशोधन) कानून, 2022 के माध्यम से आदिवासियों को जंगल-जमीन से विस्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) के जरिए हमारी भाषा, संस्कृति और अस्मिता पर हमला किया जा रहा है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
एरिया सचिव किशोर खंडित ने कहा कि अंचल कार्यालय अब भू-माफिया, राजनेता और प्रशासनिक गठजोड़ का अड्डा बन गया है। गरीब किसानों की जमीन लूट की घटनाएं बढ़ रही हैं और ग्रामीण अपने कागजात दुरुस्त नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाकपा (माले) और आदिवासी संघर्ष मोर्चा गरीब, मजदूर और किसान की एकजुटता से भूमि लुटेरों, राशन कालाबाजारियों और भ्रष्टाचारियों पर जनसंघर्ष के माध्यम से नकेल कसेंगे।
सभा को अलमा खलखो, महावीर मुंडा, सरफराज अंसारी, चांदनी उरांव, प्रीतम उरांव, रामकिशुन लोहरा, नारायण कुशवाहा, चुंदा उरांव, दिनेश साहू और महावीर उरांव ने भी संबोधित किया।
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