हर ख्वाब दर्द से गुज़रा,
हर खुशी दर्द के साये में थी,
हर हँसी लहू के आँसू से भीगी,
गुज़रते लम्हे बस दर्द की छाँव में ढले।
क्या कीमत सिर्फ़ दर्द ही है?
क्या सुकून भी दर्द का नाम है?
ए ज़िंदगी, तेरे हर पल में यही सिलसिला है—
खुशियाँ न सही, पर इक ऐसा सुकून तो दे,
जहाँ साँसें हों... और दर्द न हो।
Written by Deera
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