Celebrating the Real Spirit of Real India

गांठ होने का मतलब कैंसर होना नहीं होता 

यदि आप अपने स्तन में किसी प्रकार का परिवर्तन या कुछ असामान्य महसूस करती हैं, तो जितनी जल्दी हो सके चिकित्सक को दिखाएं। यह बात ध्यान में अवश्य रखें कि स्तन में होने वाले अधिक परिवर्तन कैंसर नहीं होते हैं। यदि आपका चिकित्सक आपको बायोप्सी कराने की सलाह देता है तो इसका यह मतलब नहीं है कि आपको स्तन कैंसर है। बिनाइन स्तन रोग बहुत आम हैं। लगभग दो तिहाई महिलाएं अपने जीवन में एक या अन्य प्रकार के बिनाइन स्तन रोग से पीड़ित होती हैं।
कैलाश काॅलोनी स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स स्पेक्ट्रा की वरिष्ठ स्तन सर्जन डॉ. उषा माहेश्वरी ने बताया, ''स्तन के कैंसर रहित रोग बहुत आम हैं। स्तन के कैंसर रहित दो मुख्य प्रकार के रोग फाइब्रोएडीनोसिस या फाइब्रोसिस्टिक परिवर्तन और कैंसर रहित या बिनाइन स्तन ट्यूमर हैं। कुछ प्रकार के बिनाइन स्तन रोगों का यदि इलाज नहीं कराया गया या सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो इनमें कैंसर में विकसित होने की क्षमता होती है। कैंसर रहित ट्यूमर का प्रभावी ढंग से इलाज कराने पर जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।''
फाइब्रोएडीनोसिस और सिस्ट स्तन के ऊतकों में होने वाले बिनाइन परिवर्तन हैं जो कई महिलाओं में उनके जीवन में किसी भी समय हो सकते हैं। इनमें स्तनों में गांठ का बनना, भारी होना, नरम होना, निपल से स्राव का निकलना या स्तन में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। कई रोगियों में बिनाइन ट्यूमर दुग्ध नलिकाओं में विकसित हो जाता है जिससे निपल से असामान्य स्राव हो सकता है।
डाॅ. माहेश्वरी ने बताया, ''हालांकि इसका अत्यंत प्रारंभिक अवस्था में भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। गांठ के दर्दरहित होने पर ज्यादातर महिलाएं गांठ की अनदेखी करती हैं। जब गांठ में दर्द होने लगता है या गांठ बड़ा हो जाता है तब वे चिकित्सक से परामर्श करती हैं। सभी महिलाओं को कम उम्र (पीरियड या रजोधर्म की शुरुआत) से ही हर महीने अपने स्तनों में परिवर्तन का पता अवष्य लगाना चाहिए और 40 साल की उम्र के बाद किसी स्तन विषेशज्ञ से नियमित रूप से शारीरिक परीक्षण और जांच (एक वर्ष से कम से कम एक बार) अवश्य कराना चाहिए। सालाना शारीरिक परीक्षण के साथ-साथ किसी विशेषज्ञ से स्तन का मासिक स्वयं परीक्षण करने के लिए सीखना बहुत अच्छा उपाय है। ऐसी स्क्रीनिंग की मदद से प्रारंभिक अवस्था में ही समस्याओं की पहचान होने और इलाज होने की अधिक संभावना होती है। किसी विशेषज्ञ से परामर्श लिये बगैर कोई वैकल्पिक या परंपरागत इलाज कराने पर इलाज में देरी हो सकती है और इससे अपूरणीय क्षति हो सकती है।
ऐसी स्क्रीनिंग से प्रारंभिक अवस्था में ही रोग की पहचान होने की अधिक संभावना होती है। 


 


Post a Comment

أحدث أقدم