Celebrating the Real Spirit of Real India

मधुमेह के कारण भी महिलाओं में होती है यौन समस्याएं

दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर (;डीडीआरसी) ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर कई महत्वपूर्ण एवं दिलचस्प निष्कर्ष निकाले हैं। इनमें से एक निष्कर्ष यह है कि जिन महिलाओं को मधुमेह होता है उनमें से 17 से 25 प्रतिशत महिलाओं को विभिन्न तरह की यौन समस्याएं होती है। 
दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर ने यह सर्वेक्षण अपने केन्द्र में दो साल के दौरान 35 से 55 साल की 120 महिलाओं पर किया। डीडीआरसी के निदेशक डॉ. ए. के. झिंगन ने बताया, ''मधुमेह एक क्रोनिक बीमारी है और यह शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करती है। यह एक जाना माना तथ्य है कि मधुमेह से पीड़ित पुरुषों में यौन समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन अभी तक मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में इस समस्या का पता लगाने और इसका समाधान करने की कोई कोशिश नहीं की गई है।'' 
पहले किए गए अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह से पीड़ित 35 से 65 प्रतिशत पुरुषों में यौन समस्याएं हो जाती हैं।
सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि अगर पति भी मधुमेह से पीड़ित हो तो महिला के लिए समस्या अधिक जटिल हो जाती है क्योंकि जब पति यौन संबंध स्थापित करने में बार—बार विफल होता है तो पत्नी के मन में निराशा पैदा होती है और सेक्स के प्रति रुचि कम हो जाती है। मधुमेह से पीड़ित 20 प्रतिशत महिलाएं डिप्रेशन से पीड़ित हो जाती हैं जिसके कारण यौन इच्छा में और भी कमी आती है।
सर्वेक्षण के कुछ प्रमुख निष्कर्ष
1. मधुमेह से पीड़ित 50 प्रतिशत दम्पतियां में यौनेच्छा की कमी पायी गयी।
2. अनियंत्रित मधुमेह के कारण क्रोनिक संक्रमण और मूत्र मार्ग में बार—बार होने वाले संक्रमण के कारण 30 प्रतिशत महिलाओं ने शारीरिक संबंध के दौरान दर्द और असुविधा के बारे में बताया।
3. 20 प्रतिशत महिलाओं ने सूखापन की शिकायत की जिसके कारण उन्हें यौन संबंध स्थापित करने में असुविधा होती है। ऐसा हार्मोन में परिवर्तन और कम रक्त आपूर्ति के कारण हो सकता है।
डॉ. झिंगन ने बताया, ''हालांकि सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं की संख्या (मधुमेह से पीड़ित 120 महिलाएं) सामान्य जनसंख्या में उपर्युक्त निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन यह सर्वेक्षण निश्चित रूप से महिला यौन स्वास्थ्य पर मधुमेह के प्रभाव का संकेतक है।
मधुमेह खराब होते पारस्परिक संबंधों और असंतोष के मुख्य कारक के रूप में सामने आ रहा है, जिसके कारण दम्पतियों के बीच बार—बार बहस होने की संभावना होती है। ऐसे मामलों में पति— पत्नी दोनों के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श आवश्यक होता है और इलाज से इन मरीजों में समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।
गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान रक्त शर्करा के खराब नियंत्रण के कारण गर्भपात होने की भी अधिक संभावना होती है। इसके अलावा, टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित कुछ महिलाओं का वजन अधिक हो सकता है औरध्या उन्हें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो सकता है, जिसके कारण गर्भ धारण करने में समस्या आ सकती है। 


Post a Comment

أحدث أقدم