– विनोद कुमार‚ वरिष्ठ पत्रकार
नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बैटरी बनाई है जो कागज की तरह मोड़ी जा सकती है और इतनी सुरक्षित है कि इसे छूने में कोई खतरा नहीं है। यह बैटरी पुरानी लिथियम-आयन बैटरियों से बेहतर है, जो गर्म होकर फटने का खतरा रखती हैं।
इस बैटरी का विकास भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत कार्यरत बेंगलुरु स्थित नैनो और सॉफ्ट मैटर साइंसेज केंद्र (CeNS) ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के साथ मिलकर किया है। यह बैटरी फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और पहनने वाले उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरियों का सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है।
बैटरी का विकास करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार इस बैटरी में एल्यूमीनियम का इस्तेमाल किया गया है, जो धरती पर बहुतायत में पाया जाता है। साथ ही, इसमें पानी-आधारित घोल है। इससे यह बैटरी सुरक्षित, सस्ती और पर्यावरण के लिए अच्छी है। यह बैटरी फटने के खतरे से बचाती है और उपकरणों को कम बिजली की जरूरत होती है।
एल्यूमीनियम ऊर्जा को बेहतर तरीके से जमा करता और उसे उत्सर्जित कर सकता है, लेकिन इसे इस्तेमाल करना मुश्किल था। बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने छोटे स्तर पर सामग्री में बदलाव करके इस समस्या को हल किया। उन्होंने कॉपर हेक्सासायनोफेरेट नाम की सामग्री से बैटरी का धनात्मक हिस्सा (कैथोड) बनाया, जिसमें पहले से एल्यूमीनियम आयन डाले गए। इसे मोलिब्डेनम ट्राइऑक्साइड से बने ऋणात्मक हिस्से (एनोड) के साथ जोड़ा गया। इससे एक ऐसी बैटरी बनाई जो न केवल बहुत बेहतर है, बल्कि लचीली भी है और इसे मोड़ने पर भी टूटती नहीं।
यह बैटरी ऊर्जा को बेहतर तरीके से जमा करती है और लंबे समय तक चलती है।
150 बार चार्ज और डिस्चार्ज करने के बाद भी यह अपनी शक्ति का 96.77% हिस्सा रखती है। इसे पूरी तरह मोड़ने पर भी यह काम करती रहती है। वैज्ञानिकों ने इसे दिखाने के लिए एक एलसीडी स्क्रीन को इस बैटरी से चलाया, भले ही इसे बहुत ज्यादा मोड़ा गया हो। यह भविष्य में ऐसे उपकरण बनाने में मदद कर सकती है जिन्हें लपेटा जा सके या कपड़ों में लगाया जा सके।
इस बैटरी से कई नए तरह के उपकरण बन सकते हैं, जैसे लचीले फोन, सुरक्षित इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ और कपड़ों में लगने वाले उपकरण। एल्यूमीनियम का इस्तेमाल इसे पर्यावरण के लिए भी अच्छा बनाता है।
यह बैटरी तकनीक में एक बड़ा कदम है। इससे जल्द ही हमारे रोज़मर्रा के उपकरणों में नई बैटरियाँ इस्तेमाल हो सकती हैं। यह भारत को सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा समाधानों में आगे ले जाता है, जो दुनिया के पर्यावरण लक्ष्यों के साथ है।



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