यहाँ एक सवाल :अगर एक गाँव में रातों-रात ये सब हो सकता है तो बाकी गाँवों में क्यों नहीं?
एक योजना पर विभाग दशकों लगा देता है नेमरा की रफ़्तार बाकी गाँवों का इंतज़ार:नेमरा में अफसरों ने रातभर काम किया। ठेकेदारों ने स्पीड दिखाई। तो क्या यह सब सिर्फ़ इसलिए संभव हुआ क्योंकि नेमरा दो मुख्यमंत्री का गाँव है
सरकार से सवाल:क्या विकास का हक़ सिर्फ़ उस गाँव का है क्या बाकी झारखंड की जनता झारखंडी नही है क्या मूल निवासियों का अधिकार सिर्फ़ काग़ज़ों में सिमट के रह जायेगा
असल बात:झारखंड में पैसे की कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ़ नियत और प्राथमिकता की
नेमरा ने साबित कर दिया कि जहाँ सरकार चाहती है वहाँ सड़कें भी बनती हैं और गाँव भी जगमगाते हैं। अन्यथा कई गांव शहर हैं जहां वर्षों पहले हुए सड़कों का शिलान्यास पैसे के अभाव में पेंडिंग पड़ा हुआ है।
सवाल यह है:क्या सरकार पूरे झारखंड को “नेमरा” बनाने की चाह रखती है या सिर्फ़ नेमरा तक सीमित रह जाएगा विकास के लिए प्रत्येक गांव में एक दिशोम गुरु की जरूरत होगी?जनता जनता की उम्मीद :हमारा मानना है कि झारखंड के हर गाँव का अधिकार है कि वह भी 10 दिनों में सड़क और रोशनी देख सके।
Post a Comment