Celebrating the Real Spirit of Real India

यूएलथेरेपी : नश्तर चलाये बगैर पाइये सदाबहार खूबसूरती 

यूएलथेरेपी नामक नाॅन इनवेसिव काॅस्मेटिक प्रक्रिया है से पाइये कुदरती खूबसूरती और स्पष्ट परिणाम

40 वर्षीय नेहा तिवारी (बदला हुआ नाम) बेहद खुश हुई जब उसे काॅलेज रियूनियन का निमंत्रण मिला। पुराने दिनों को याद करते हुए उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई क्योंकि उन दिनों वह बहुत मशहूर थी खास कर अपने लुक्स की वजह से। लेकिन जैसे ही उसने खुद को आईने में देखा उसकी मुस्कान गायब हो गई। दो बच्चों के जन्म के बाद परिवार और दफ्तर के इर्दगिर्द घूमती जिंदगी ने उसके चेहरे पर असर कर दिया था। चेहरे की त्वचा ढीली पड़ गई थी और उस पर झुर्रियां, पिगमेंटेशन व सुस्ती दिखाई दे रही थी। अचानक काॅलेज के दोस्तों से मिलने की बात सोच कर उसके मन में भय बैठ गया। वे क्या सोचेंगे? नेहा अपनी उस पुरानी संुदर छवि को टूटने नहीं देना चाहती थी।
काश हकीकत में ऐसा होता कि हम फोटोशाॅप कर के अपने चेहरे को हर उम्र में जवां बनाए रखते। पर कोई बात नहीं, इस मामले में मदद के लिए काॅस्मेटिक सर्जरी का विकल्प है। लेकिन हम में से कई लोग चेहरे पर चाकू के इस्तेमाल से डरते हैं और नहीं चाहते कि एक सुई भी उनके चेहरे पर चुभोई जाए। नेहा के दोस्त ने उन्हें दिल्ली स्थित अपोलो काॅस्मेटिक क्लिनिक्स जाने की सलाह दी, जहां उन्हें त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभाव से निजात दिलाने के लिए यूएलथेरेपी नामक एक उन्नत उपचार कराने की सलाह दी गयी। अपोलो कॉस्मेटिक क्लिनिक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. कुलदीप सिंह उस समय  बाल गिरने के मुद्दों, त्वचा की समस्याओं, बोटोक्स इत्यादि सहित कॉस्मेटिक उपचार के दायरे के अंतर्गत आने वाले विभिन्न मुद्दों का सामना कर रहे रोगियों के साथ बातचीत करने के लिए अपोलो कॉस्मेटिक क्लिनिक द्वारा आयोजित एक विशेष इंटरैक्टिव सत्र के लिए आगरा में थे।
डा. सिंह ने कहा, ''जब मैं नेहा से मिला तो अपोलो काॅस्मेटिक क्लीनिक्स दिल्ली की सीनियर कंसल्टेंट-काॅस्मेटिक सर्जरी डाॅ शाहीन नूरेयेज़्दान कहती हैं, ''खूबसूरत, चमकती जवां दिखने वाली त्वचा के लिए भीतर व बाहर दोनों ओर से गहन देखभाल की जरूरत होती है। खास तौर पर 30 की उम्र पार करने के बाद इस प्रक्रिया में उम्र बढ़ने की निशानियों से उबरने के लिए अतिरिक्त कोशिश करनी होती है। भारत के लिए यूआई थेरपी नई चीज़ है यह नए संरचनात्मक कोलाजेन का निर्माण कर के उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है और तुरंत असर दिखाती है। यह त्वचा में कसावट लाती है और इस तरह त्वचा के टैक्सचर एवं टोन में सुधार करती है।''
डॉ सिंह ने कहा, ''जब मैं नेहा से मिला, तो वह अपने चेहरे के कारण बहुत परेशान थी। वास्तविकता यह है कि उन्होंने खुद को भूलाकर अपना ध्यान पूरी तरह से अपने घर पर केंद्रित कर दिया था। वह दो बच्चों की मां है, और, शायद इसलिए उनके लिए खुद पर और अपनी त्वचा पर ध्यान देना मुश्किल हो रहा था। वास्तविकता अब भी यही है कि सुंदर, कांतियुक्त युवा दिखने वाली त्वचा को भी आंतरिक और बाहरी दोनों रूप से गहन देखभाल की आवश्यकता होती है। विषेशकर, 30 साल की उम्र को पार करने के बाद इस उम्र बढ़ने के लक्षणों पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता होती है। भारत के लिए एक अपेक्षाकृत नई चिकित्सा, यूएलथिरेपी नई संरचनात्मक कोलेजन बनाकर तथा इसे मजबूत करके स्मूथिंग प्रभाव पैदा करती है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तत्काल धीमा करती है और इस तरह से त्वचा की बनावट और चमक में सुधार करती है। नेहा के लिए यह उपचार बहुत ही शानदार और ताजगी भरा था और इसके प्रभाव को देखकर वह पूरी तरह अवाक रह गई। उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि वह दोबारा किशोरवस्था एवं जवानी के दिनों जैसा यौवन पायेगी।'' 
आज यूएल थेरपी 55 से ज्यादा देशों में प्रयुक्त हो रही है और करीबन 40 वैज्ञानिक पर्चे इस विषय पर प्रकाशित हो चुके हैं तथा विभिन्न मंचों पर इससे भी दोगुने वैज्ञानिक लैक्चर दिए जा चुके हैं।  
डाॅ. सिंह ने बताया। 'लंच टाइम' के नाम से जानी जाने वाली यह यूएल थेरपी, त्वचा को कसने के लिए किया जाने वाला एक माइक्रो-फोकस्ड अल्ट्रासाउंड ट्रीटमेंट है। जी हां, यह एक अल्ट्रासाउंड सिस्टम है जो कि सामान्य तौर पर गर्भ में शिशु की वृद्धि देखने के लिए इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया को 'लंचटाइम लिफ्ट' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके लिए क्लीनिक में रात में ठहरने की आवश्यकता नहीं होती। ''आप इसे अपने लंच टाइम में करा कर फिर से काम पर लौट सकती हैं। यह केवल 60 से 90 मिनट का इलाज है जो त्वचा एवं भीतरी ऊतकों की मैमोरी को कोमलता से और धीरे- धीरे रिस्टोर करने के लिए आपके ही शरीर के रिजेनरेटिव रिस्पाँस का प्रयोग करता है।'' 
यूएसएफडीए द्वारा अनुमोदित इस उपचार में 6 महीनों तक सुधार जारी रहता है। लेजर के विपरीत, जिसमें यह बाहर से त्वचा के भीतर प्रवेश करायी जाती है, यूएल थेरेपी त्वचा की सतह से होकर गुजरती है और खास तौर पर गहरे, संरचनात्मक त्वचा ऊतकों को लक्ष्य करती है जहां कोलाजन होते हैं। ऊतकों में प्रवेश करने के लिए इस तकनीक के तहत अंदर थर्मल एनर्जी पैदा करने के लिए अल्ट्रासाउंड पल्स ऐनर्जी का इस्तेमाल किया जाता है। यह थर्मल ऐनर्जी ऊतकों के अंदर मौजूद कोलाजन बनाने वाले इंजनों को नया जीवन देती है फलस्वरूप नई कोलाजन का उत्पादन होता है और स्पष्ट रूप से त्वचा का लचीलापन बढ़ता है। यह प्रभाव ढाई साल तक रहता है जिसके बाद आपको अगले सैशन की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि तब तक आपकी उम्र भी ढाई साल बढ़ चुकी होगी। 
अपोलो काॅस्मेटिक क्लिनिक की वरिष्ठ कंसल्टेंट डाॅ नूरेयेज़्दान ने कहा, ''यूएल थेरपी की सलाह 35 से 60 वर्ष की उन महिलाओं को दी जाती है जिनकी त्वचा वक्त से पहले ढीली पड़ने लगी हो। एक ही ट्रीटमेंट के बाद 3 से 6 महीनों के भीतर परिणाम देखे जा सकते हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों को 6 महीनों में दूसरे ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है। कुछ खास हिस्सों जैसे ठोढ़ी, आंखों या भवों पर किया गया उपचार कई वर्षों तक टिका रह सकता है।''
फिलर और बोटोक्स की कीमतें बहुत ज्यादा हैं और इनमें दर्द भी होता है तथा इन्हें नियमित रूप से कराना पड़ता है। जबकि यूएल थेरपी कुदरती और ताज़गी भरा दिखने वाली एक उम्दा विकल्प देती है।


 


Post a Comment

Previous Post Next Post