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कैसे करें थायरॉयड कैंसर की पहचान और रोकथाम 

गले में किसी भी प्रकार के गांठ या सूजन का पता लगाने के लिए गले के हिस्से का शारीरिक परीक्षण किया जाता है। एक रक्त परीक्षण की मदद से षरीर में थायरॉयड को उत्तेजित करने वाले हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है। अल्ट्रासाउंड जैसी इमेंजिंग जांच से गांठ की प्रकृति का पता लगाया जाता है और बढ़े हुए लिम्फ नोड्युल को देखा जाता है। कैंसर कोषिकाओं की जांच के लिए चिकित्सक थायरॉयड ग्रंथि की बायोप्सी कर सकते हैं जिसके तहत् वे थायरॉयड ऊतक या ग्रंथि के एक हिस्से से छोटे से टुकड़े को निकालकर इसकी जांच करते हैं।
थायरॉयड नोड्युल बहुत सामान्य है, और सभी नोड्युल कैंसर वाले नहीं होते हैं। इसलिए किसी लक्षण के बगैर अधिक परीक्षण की जरूरत नहीं है क्योंकि यदि किसी नोड्युल की पहचान होती है, तो वैसे लोगों में भी जिन्हें थायरॉयड कैंसर नहीं हैं उनमें भी यह कैंसर की गलत धारणा दे सकता है। कैंसर का पता लगाने के लिए, कभी-कभी अनावष्यक स्कैन और फाइन निडल एस्पिरेषन कर दी जाती है और यह एक अनावष्यक तनाव देता है। इसलिए बेहतर यह है कि किसी व्यक्ति में थायरॉयड कैंसर के विषिश्ट लक्षण का पता लगने पर वह जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाए।
क्या इसे रोका जा सकता है ? 
मेडुलरी थायरॉयड कैंसर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो आनुवांषिक होता है और यदि आनुवांषिक परीक्षण में इसके होने की अधिक संभावना का पता चलता है तो वह व्यक्ति अपनी थायरॉयड ग्रंथि को हटवा सकता है। इसके अलावा, अधिकतर थायरॉयड कैंसर को रोका नहीं जा सकता।    
लेकिन जोखिम कारकों के साथ-साथ लक्षणों के बारे में जागरूकता किसी भी व्यक्ति को सतर्क कर सकती है और थायरॉयड कैंसर सं संबंधित किसी भी प्रकार के परिवर्तन का संदेह होने पर वह जल्द से जल्द चिकित्सक से परामर्ष कर सकता है। इसके अलावा, जल्द पहचान कैंसर के दुश्प्रभाव से बचने में मदद कर सकता है।
थायरॉयड कैंसर के मामलों में वृद्धि होने के साथ-साथ इसकी पहचान के लिए बेहतर इमेजिंग तकनीकों के ईजाद के कारण थायरॉयड कैंसर के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। लेकिन ज्ञान वह शक्ति है जिससे लोग इस घातक बीमारी के डर को दूर कर सकते हैं।


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