यह घोटाला नागरनार स्टील प्लांट (NMDC स्टील लिमिटेड) के कथित निजीकरण से जुड़ा है, जिसकी अनुमानित राशि 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। अमित जोगी ने इसे न केवल आर्थिक अपराध बल्कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय और सार्वजनिक संपत्ति के साथ 'ऐतिहासिक विश्वासघात' करार दिया है।
घोटाले का पूरा ब्रेकअप: कैसे पहुंची राशि 1.5 लाख करोड़ तक?
अमित जोगी के पत्र के अनुसार, यह घोटाला तीन प्रमुख हिस्सों में बंटा है:
- नागरनार स्टील प्लांट की संपत्ति: करीब 26,000 करोड़ रुपये की संपत्ति, जिसमें 3 मिलियन टन क्षमता वाला अत्याधुनिक प्लांट शामिल है। यह प्लांट बस्तर के आदिवासी क्षेत्र में लगाया गया था और सार्वजनिक फंड से बनाया गया।
- बैलाडिला लौह अयस्क खदानें: डिपॉजिट-11B और अन्य खदानों का मूल्यांकन करीब 85,000 करोड़ रुपये। ये खदानें प्लांट के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती हैं।
- भविष्य के राजस्व की हानि: किरंदुल-अनकापल्ली स्लरी पाइपलाइन और भूमि अधिग्रहण से होने वाली 40,000 करोड़ रुपये की संभावित हानि।
कुल मिलाकर, जोगी का दावा है कि निजीकरण से राज्य को 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जो छत्तीसगढ़ के वार्षिक बजट से कई गुना अधिक है।
प्रधानमंत्री के वादे vs सरकारी रिपोर्ट: गंभीर विसंगति
घोटाले की जड़ में केंद्र सरकार की दोहरी नीति है:
- 3 अक्टूबर 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरनार प्लांट का उद्घाटन करते हुए सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि "यह प्लांट बस्तर की जनता की संपत्ति है और निजीकरण नहीं होगा"।
- 29 अक्टूबर 2025: एनएमडीसी की आधिकारिक रिपोर्ट में "विनिवेश प्रक्रिया जारी" की पुष्टि की गई, जिसमें प्लांट के 90% शेयर निजी कंपनी को बेचने की मंजूरी दी गई।
इसके बाद तेजी से घटनाएं हुईं:
- 1 नवंबर 2025: पर्यावरण मंत्रालय ने किरंदुल-अनकापल्ली स्लरी पाइपलाइन को मंजूरी दी।
- 7 नवंबर 2025: इस्पात मंत्रालय ने अंतिम स्वीकृति प्रदान की।
- 9 नवंबर 2025: गजट नोटिफिकेशन जारी कर सुकमा, दंतेवाड़ा, मलकानगिरी और विशाखापत्तनम जिलों में भूमि अधिग्रहण को हरी झंडी।
जोगी ने आरोप लगाया कि यह सब PESA कानून 1996 (पेसा एक्ट) का खुला उल्लंघन है, क्योंकि आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की सहमति के बिना भूमि अधिग्रहण अवैध है।
अन्य वित्तीय अनियमितताएं जो घोटाले को और गहरा बनाती हैं
- 120 करोड़ का कोयला आयात घोटाला: प्लांट ने एक गैर-मौजूद अमेरिकी कंपनी से कोयला आयात का अनुबंध किया, जबकि छत्तीसगढ़ में कोयला भंडार प्रचुर हैं। (हाल ही में नवंबर 2025 में एक समान साइबर फ्रॉड प्रयास में 120 करोड़ की ठगी की कोशिश नाकाम हुई थी, जो संदेह पैदा करता है।)
- लाभ-घाटे की हेराफेरी: अप्रैल-जून 2025 में 26 करोड़ का लाभ दिखाया, जबकि जुलाई-सितंबर 2025 में अचानक घाटा दर्ज। यह कंपनी की बैलेंस शीट को आकर्षक बनाने की कवायद लगती है ताकि निजी खरीदार को फायदा हो।
- कानूनी उल्लंघन: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, PMLA 2014 और PESA 1996 का स्पष्ट उल्लंघन।
अमित जोगी की प्रमुख मांगें
- 1.5 लाख करोड़ के घोटाले की तत्काल CBI जांच।
- निजीकरण की सभी प्रक्रियाओं पर रोक।
- एनएमडीसी स्टील के CMD से सार्वजनिक माफी।
- नागरनार प्लांट को स्थायी रूप से सार्वजनिक इकाई घोषित करने की कानूनी गारंटी।
- 15 दिनों का अल्टीमेटम: मांगें नहीं मानी गईं तो राज्यव्यापी जन आ 15 दिवसीय आंदोलन, जिसमें बस्तर बंद और रायपुर में विशाल रैली शामिल।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और पृष्ठभूमि
कांग्रेस ने भी पहले (2024 में) नागरनार के निजीकरण पर सवाल उठाए थे, जहां जयराम रमेश और टीएस सिंहदेव ने PM के वादे की याद दिलाई थी। अब अमित जोगी ने इसे घोटाले का रूप देकर हमला बोला है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार विनिवेश प्रक्रिया को FY26 तक टाल सकती है, लेकिन जोगी का दावा है कि "गुपचुप तरीके से सब कुछ तय हो चुका है"।
बस्तर के आदिवासी नेता और स्थानीय लोग पहले से ही विरोध कर रहे हैं। एक स्थानीय ग्राम सभा सदस्य ने कहा, "यह हमारी जमीन पर बना प्लांट है, निजी हाथों में जाने से रोजगार और विकास छिन जाएगा।"
आगे क्या?
CBI ने पत्र प्राप्ति की पुष्टि की है, लेकिन अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। यदि जांच बैठी तो यह केंद्र-राज्य संबंधों में नया तनाव पैदा कर सकता है। जनता कांग्रेस (जे) ने 20 नवंबर से जिला स्तर पर धरने शुरू करने की घोषणा की है।
यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति को गरमा सकता है, क्योंकि नागरनार प्लांट बस्तर के विकास का प्रतीक माना जाता रहा है। क्या यह वाकई सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा या राजनीतिक आरोप? आने वाले दिन बताएंगे।
(यह रिपोर्ट उपलब्ध दस्तावेजों, अमित जोगी के पत्र और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। केंद्र सरकार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।)

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